पाकिस्तान को दुत्कारने वाले ट्रंप अब क्यों दिखा रहे नरमी, भारत से भी छेड़ा विवाद

वाशिंगटन 
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में बिजनेस की खातिर भारत के साथ संबंधों की बली चढ़ा दी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने सोमवार को ऐसा दावा किया है। हालांकि, मौजूदा हालात इन दावों को मजबूती भी दे रहे हैं, क्योंकि ट्रंप लगातार पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ाते नजर आ रहे हैं। जबकि, अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने पाकिस्तान पर झूठ और धोखे के आरोप लगाए थे।

पाकिस्तान के बारे में क्या सोचते थे ट्रंप
साल 2018 में ट्रंप ने कहा था, 'अमेरिका ने बेवकूफों की तरह पाकिस्तान को बीते 15 सालों में 33 बिलियन डॉलर से ज्यादा की सहायता दे दी, लेकिन उन लोगों ने हमें झूठ और धोखे के अलावा कुछ नहीं दिया। हमारे नेताओं को बेवकूफ समझा। जिन आतंकवादियों की हम अफगानिस्तान में तलाश कर रहे थे, उन्हें पाकिस्तान में पनाह दी गई।'

अब बदल गए विचार
जून में पहली बार पाकिस्तानी सेना के प्रमुख को अमेरिकी राष्ट्रपति ने न्योता दिया। इतना ही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से मुलाकात कर खुशी जाहिर की। साथ ही कहा कि दोनों ने ईरान मुद्दे पर चर्चा की, जिसे पाकिस्तान अन्य लोगों से ज्यादा बेहतर ढंग से जानता है। ट्रंप ने तब पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने भारत के साथ युद्ध खत्म करने के लिए मुनीर का धन्यवाद किया था। पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ लाभकारी व्यापारिक रिश्ते बनाने में दिलचस्पी दिखाई है। अमेरिका के सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिया ने पाकिस्तान को बड़ा साझेदार करार दिया था। कुरिया ने साल 2021 में काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के मास्टरमाइंड मोहम्मद शरीफुल्लाह को पकड़ने और प्रत्यर्पित करने की पेशकश के लिए मुनीर की तारीफ की थी।

पाकिस्तान में कौन से बिजनेस
जुलाई में ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, 'हमने अभी-अभी पाकिस्तान के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत अमेरिका पाकिस्तान के विशाल तेल भंडार को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेगा।' उन्होंने कहा, 'हम उस तेल कंपनी को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं जो इस साझेदारी का नेतृत्व करेगी। कौन जानता है, शायद वे किसी दिन भारत को तेल बेचेंगे!' पाकिस्तान लंबे समय से अपने अपतटीय क्षेत्र पर बड़े तेल भंडार होने का दावा करता रहा है, लेकिन इन भंडारों का दोहन करने में कोई प्रगति नहीं हुई है। वह इन भंडारों का दोहन करने के लिए निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। देश फिलहाल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पश्चिम एशिया से तेल आयात करता है।

क्रिप्टो फैक्टर
अप्रैल में पाकिस्तान ने वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल कंपनी के साथ ब्लॉकचेन तकनीक से जुड़ी शुरुआती डील की थी। खास बात है कि इस कंपनी में 60 फीसदी हिस्सेदारी ट्रंप परिवार की है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि अमेरिकी अधिकारियों की नजर पाकिस्तान के दुर्लभ खनिजों पर है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस के लिए बेहद अहम हैं। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका के लिए इस्लामाबाद बेहतर विकल्प हो सकता है। अप्रैल में पाकिस्तान मिनरल इन्वेस्टमेंट फोरम में अमेरिकी अधिकारी भी शामिल हुए थे।

सुलिवन क्या बोले
सुलिवन ने कहा, पर अब ट्रंप के परिवार के साथ व्यापार करने की पाकिस्तान की इच्छा के लिए ट्रंप ने भारत के साथ अपने संबंधों को नजरअंदाज कर दिया है। यह बहुत ही बड़ा रणनीतिक झटका है, क्योंकि भारत और अमेरिका के रिश्ते हमारे हित में हैं।' उन्होंने कहा, 'सोचिए कि जर्मनी, जापान या कनाडा ये सब होते हुए देख रहे हैं। और वे सोचेंगे कि ऐसा हमारे साथ भी हो सकता है।' उन्होंने कहा, 'अगर हमारे सहयोगी इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि वे किसी भी तरह से हमारे ऊपर निर्भर नहीं हो सकते, तो यह अमेरिकी लोगों के हित में नहीं है।' उन्होंने कहा, 'भारत के साथ जो हो रहा है, उसका हमारे दुनियाभर के संबंधों और रिश्तों पर सीधा असर पड़ेगा।'

 

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