राहुल गांधी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: पूछा– कैसे पता चला कि चीन ने जमीन कब्जाई?

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा कि यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो आप ऐसा कुछ नहीं कहते.

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की चीन द्वारा भारत की जमीन पर कब्जा करने संबंधी बयान पर कड़ी टिप्पणी की और उनसे पूछा कि उन्हें संसद में ये मुद्दे उठाने से किसने रोका है. कोर्ट ने पूछा, 'क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? बिना किसी विश्वसनीय सामग्री के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं. अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ये सब बातें नहीं कहते.'

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने की. वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष राहुल गांधी का प्रतिनिधित्व किया. सुनवाई की शुरुआत में सिंघवी ने गांधी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर वह ये सब नहीं कह सकते तो विपक्ष के नेता भी नहीं हो सकते. उन्होंने पीठ से अपने मुवक्किल के बयान की जाँच करने का आग्रह किया. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'डॉ. सिंघवी, आपको जो भी कहना है, कहिए. आप संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह सब क्यों कहना है.' सिंघवी ने तर्क दिया, 'एक तकनीक है, आप संसद सदस्य (एमपी) बन जाते हैं और सभी को बदनाम करते हैं लेकिन जनहित में एक पार्टी के नेता, बस देखें कि उन्होंने क्या कहा.'

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'डॉ. सिंघवी, हमें बताइए कि आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर लिया है. आपको कैसे पता चला कि आप वहाँ थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? बिना किसी विश्वसनीय सामग्री के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं.' न्यायमूर्ति दत्ता ने आगे कहा, 'अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप ये सब बातें नहीं कहते.'

सिंघवी ने कहा कि यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार दिया गया, और उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चिंता का विषय है. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'जब सीमा पार संघर्ष होता है. अगर आप खुलासा कर रहे हैं, आप विपक्ष के नेता (एलओपी) हैं. तो आप (संसद में) सवाल क्यों नहीं पूछते, आप एलओपी हैं. यह क्या है, आप कहे जा रहे हैं? आपके पास अनुच्छेद 19(1)(ए) का अधिकार (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) है, एक जिम्मेदार एलओपी होने के नाते, आप ऐसा करते हैं.'

सिंघवी ने कहा कि मानहानि का मुकदमा दायर करके किसी व्यक्ति को परेशान करने का यह कोई तरीका नहीं है, और उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधान 1 की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि अब संज्ञान लेने से पहले प्राकृतिक न्याय की आवश्यकता होती है. सिंघवी ने तर्क दिया, 'यह एक सर्वमान्य आधार है कि जब वर्तमान मामले में यानी 11 फरवरी, 2025 को संज्ञान लिया गया था, तब कोई प्राकृतिक न्याय नहीं था और न ही 223 (1) प्रावधान का कोई अनुपालन हुआ था. 

राहुल गांधी से कोर्ट के तीखे सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने राहुल गांधी की तरफ से दिए गए बयानों पर असहमति जताई. राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शुरुआत में दलील दी कि अगर कोई विपक्षी नेता मुद्दे नहीं उठा सकता, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी.

अदालत में सिंघवी ने कहा कि अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते. इस पर जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'आपको जो कुछ भी कहना है, संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह क्यों कहना है?' राहुल गांधी के बयान पर असहमति जताते हुए जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'आप बिना किसी सबूत के ये बयान क्यों दे रहे हैं. अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप यह सब नहीं कहते.'

भारत जोड़ो यात्रा में दिया था बयान

अपनी 2023 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल ने दावा किया कि एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें बताया था कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. उनके इस बयान को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया था और उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था.

राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, 'आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2,000 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है?' और इस पर जोर देते हुए कहा, 'अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसा नहीं कहते.' कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है? जब सीमा पार कोई विवाद होता है तो क्या आप ये सब कह सकते हैं? आप संसद में सवाल क्यों नहीं पूछते?

कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप विपक्ष के नेता हैं तो आप ये बातें क्यों कहेंगे? आप ये सवाल संसद में क्यों नहीं पूछते? इसके जवाब में राहुल की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने संसद में बोलने की छूट पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ा. अनुच्छेद 19(1)(ए) राहुल गांधी को सवाल पूछने की इजाजत देता है.

सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने यह स्वीकार करते हुए कि याचिकाकर्ता अपना बयान बेहतर तरीके से पेश कर सकते थे, कहा कि शिकायत सिर्फ सवाल उठाने के लिए उन्हें परेशान करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है, जो एक विपक्षी नेता का कर्तव्य है. उन्होंने यह भी बताया इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया गया है. हालांकि, जस्टिस दत्ता ने बताया कि यह मुद्दा हाई कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया था. सिंघवी ने माना कि इस पॉइंट को उठाने में चूक हुई. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में चुनौती मुख्य रूप से शिकायतकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर केंद्रित थी. 

सिंघवी ने राहुल की तरफ से कहा कि उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की कोई जरूरत नहीं है. मामले में संज्ञान लिए जाने से पहले उन्हें कोई प्राकृतिक न्याय नहीं दिया गया है. सिंघवी ने कहा कि वह उस भावना को समझते हैं जिसके तहत इस बेंच ने सवाल पूछे हैं. लेकिन इस बात पर आम सहमति है कि यहां कोई प्राकृतिक न्याय या सुनवाई नहीं हुई है.

SC ने कार्यवाही पर लगाई रोक

सिंघवी ने हाई कोर्ट के इस तर्क पर सवाल उठाया कि शिकायतकर्ता, अगर 'पीड़ित व्यक्ति' नहीं है, फिर भी 'अपमानित व्यक्ति' है. बेंच इस पॉइंट पर विचार करने के लिए सहमत हो गई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया गया था.

राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राहुल गांधी को राहत देते हुए निचली अदालत में मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी और सुनवाई के लिए 3 हफ्ते के बाद का वक्त तय किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!

4th piller को सपोर्ट करने के लिए आप Gpay - 7587428786