बिहार में चुनाव आयोग की SIR पर नहीं लगी रोक, अदालत ने मांगा आधार-वोटर ID पर जवाब

नई दिल्ली

बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर चुनाव आयोग से कहा है कि वह बिहार में चल रही वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) के दौरान आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को पहचान के वैध दस्तावेज के रूप में मानने पर विचार करे।

अदालत ने यह बात उस मामले की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें यह मुद्दा उठा है कि वोटर लिस्ट की जांच प्रक्रिया में किन दस्तावेजों को मान्य माना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा है कि वे यह तय करें कि उन्हें अपनी दलीलें पेश करने में कितना समय लगेगा। इसके बाद मंगलवार को कोर्ट अगली सुनवाई की तारीख बताएगा।

बिहार में एसआईआर को लेकर मचा है बवाल
दरअसल, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से बिहार में चुनाव से पहले एसआईआ कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की अलग-अलग याचिकाओं के अलावा कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, शरद पवार एनसीपी गुट की सुप्रिया सुले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है। सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर के निर्देश देने वाले चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने की मांग की है।

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