कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री 75 साल के सिद्धारमैया होंगे। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद डीके शिवकुमार को CM बनाया जाएगा। चार दिन से चल रही उठापटक के बीच बुधवार रात को पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के घर में हाईवोल्टेज मीटिंग हुई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार मौजूद रहे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने डीके शिवकुमार पर इस बात के लिए दबाव बनाया कि लोकसभा चुनाव तक वो डिप्टी CM बन जाएं। इसके बाद सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनसे बात की और उन्हें अभी डिप्टी CM बनने के लिए राजी किया।
20 मई को शपथ ग्रहण समारोह होगा। जिसमें सिद्धारमैया और डीके के अलावा दोनों गुटों से आधे-आधे मंत्री बनाए जाएंगे। आज शाम को विधायक दल की मीटिंग होगी। इसमें सिद्धारमैया को विधायक दल का नेता चुना जाएगा।
शिवकुमार पर तीन फॉर्मूले पर बात हो रही थी। इसमें से वे 50-50 फॉर्मूले पर राजी हुए। पहले ढाई साल सिद्धारमैया सीएम रहेंगे और बाद के ढाई साल डीके। यानी डीके लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में मुख्यमंत्री बनेंगे। हालांकि, अब कर्नाटक का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसका नाम तय नहीं है।
CM पद की रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही मजबूत दावेदार थे। डीके ने चुनाव में जिस तरह से रोल निभाया था, उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बार CM उन्हें ही बनाया जाएगा। डीके शिवकुमार बुधवार दोपहर 12:15 बजे राहुल से मिलने पहुंचे थे। दोनों की एक घंटे मीटिंग हुई। इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। सूत्र बताते हैं कि पहले सोनिया गांधी डीके के नाम पर सहमत थीं, पर वे दो-तीन वजहों से पिछड़ गए।
डीके इसलिए नहीं बन पाए CM…
पहली बड़ी वजह रही उनके ऊपर चल रही CBI और ED की जांच। कांग्रेस को डर था कि उन्हें CM बनाया तो BJP हमलावर हो सकती है। कांग्रेस को इससे नुकसान होगा। हाल में कर्नाटक के DGP प्रवीण सूद को CBI का डायरेक्टर भी बनाया गया है।
डीके और प्रवीण सूद की बिल्कुल नहीं पटती। कहा जा रहा था कि सूद को जानबूझकर ऐन वक्त पर CBI की कमान सौंपी गई है, क्योंकि डीके ने सरकार आने के बाद उन पर एक्शन लेने की बात कही थी।
डीके के पिछड़ने की दूसरी वजह ये रही कि वे वोक्कालिग्गा कम्युनिटी से आते हैं। इस कम्युनिटी की कर्नाटक में करीब 11% आबादी है। ओल्ड मैसूरु में इसका असर है। डीके की ओल्ड मैसूरु में अच्छी पकड़ है, लेकिन पूरे कर्नाटक के नजरिए से देखा जाए तो सिद्धारमैया डीके पर भारी पड़ते दिखाई देते हैं। वे कुरुबा कम्युनिटी से आते हैं और उनकी दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों में भी पकड़ है। उनकी सेकुलर छवि है।
कांग्रेस सिद्धारमैया की साफ छवि का फायदा लोकसभा चुनाव में उठाना चाहती है। कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं। इनमें सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का सांसद है। वे भी डीके शिवकुमार के छोटे भाई डीके सुरेश हैं। इस बार पार्टी चाहती है कि 28 में से कम से कम 20 सीटें अपने पाले में की जाएं। इसके जरिए जरूरी है कि सिद्धारमैया की छवि, जमीनी पकड़ डीके की संगठन क्षमता का फायदा उठाया जाए।
कर्नाटक में डीके पावरफुल बने रहेंगे
डीके शिवकुमार कर्नाटक की राजनीति में पावरफुल बने रहेंगे। उनके पसंदीदा विधायकों को बड़े पोर्टफोलियो दिए जाएंगे। लोकसभा चुनाव को मैनेज करने की पूरी जिम्मेदारी उन पर होगी, यानी टिकट बंटवारे से लेकर इलेक्शन स्ट्रैटजी बनाने तक में उनका रोल सबसे बड़ा रहेगा।
हाईकमान ने डीके को CM न बनाने के पीछे एक हवाला उम्र का भी दिया गया है। उन्हें कहा गया है कि अभी वे सिर्फ 61 साल के हैं और उनके पास राजनीति करने का लंबा वक्त है। कर्नाटक में आने वाले वक्त में वही कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे, जबकि सिद्धारमैया का यह आखिरी चुनाव है। ऐसे में वो सिद्धारमैया CM बनने दें।
सोनिया गांधी को मां की तरह मानते हैं डीके
डीके शिवकुमार गांधी परिवार के लिए पूरी तरह से वफादार हैं। वे सोनिया गांधी को मां की तरह मानते हैं। CM पद के लिए रस्साकशी चल रही थी, तब राहुल गांधी सिद्धारमैया को CM बनाने की वकालत कर रहे थे, लेकिन सोनिया और प्रियंका गांधी डीके शिवकुमार के नाम पर सहमत थीं। कांग्रेस लीडरशिप ने इस पूरी स्थिति को लोकसभा चुनाव से जोड़ते हुए देखा।
फिर यह तय हुआ कि डीके को अभी CM बनाया तो लोकसभा चुनाव में इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। सिद्धारमैया के मामले में ऐसा नहीं होगा। राहुल के साथ ही सोनिया गांधी ने भी डीके शिवकुमार से तमाम पॉइंट़्स पर बात की। इसके बाद वो राजी हुए।