KORBA : मृत शिक्षकों के पेंशन के नाम पर हायर सेकेंडरी स्कूल हरदीबाजार के लिपिक ने लगाए 28 लाख के फर्जी बिल, जानें पूरा मामला…

15 को उप कोषालय कटघोरा में होगी जांच ,सँयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी सहित टीओ तकनीकी पहलुओं की करेंगे पड़ताल

 

कोरबा, 10 फरवरी। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदीबाजार के लिपिक द्वारा उप कोषालय कटघोरा में विद्यालय के मृत व सेवानिवृत्त शिक्षकों के पेंशन जीआईएस व के भुगतान के नाम पर लगाए गए 28 लाख के फर्जी बिल के मामले में भले ही आहरण संवितरण अधिकारी(डीडीओ) प्राचार्य आज पर्यन्त एफआईआर दर्ज कराने में विफल रहे । वहीं दूसरी ओर इस गंभीर प्रकरण में कोषालय गम्भीर हो गया है। संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी सहित जिला कोषालय अधिकारी 15 फरवरी को प्रकरण की पूरी तकनीकी पहलुओं की जांच करने उप कोषालय कटघोरा जाएंगे। जहां उप कोषालय अधिकारी ,संबंधित प्राचार्य एवं लिपिक से गहन पूछताछ होगी।

यहाँ बताना होगा कि गत माह हरदीबाजार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का पेंशन ,जीआईएस एवं अन्य स्वत्वों से जुड़े 28 लाख के फर्जी बिल उप कोषालय में विद्यालय के लिपिक ऋषि कुमार जायसवाल ने जमा किया था। देयक (बिल) जमा करने के 6 दिवस के भीतर परीक्षण उपरांत बिल पारित करने का प्रावधान रहता है। इस समयावधि में ई पैरोल में ऑनलाइन बिल जनरेट कर उसकी डीडीओ (आहरण संवितरण अधिकारी)द्वारा हस्ताक्षरित कॉपी की एक प्रति कोषालय में जमा किया जाता है। जिसका काउंटर परीक्षण के बाद संबंधित बिल पासिंग क्लर्क के द्वारा डिटेल एंट्री किया जाता है। तत्पश्चात बिल पारित होता है।

लेकिन संबंधित लिपिक ने बिल जमा करते ही तत्काल पारित करने के लिए उप कोषालय पर फोनकर दबाव बनाना शुरू कर दिया। 28 लाख के भारी भरकम बिल और तत्काल पारित करने की गुजारिश से उप कोषालय अधिकारी को शंका हुई। लिहाजा बिल पासिंग के दौरान डिटेल इंट्री का परीक्षण किया गया इस दौरान प्रस्तुत देयक (बिल )फर्जी पाया गया।लिहाजा उप कोषालय अधिकारी कटघोरा मनीष देवांगन ने बिल तत्काल संबंधित डीडीओ प्राचार्य डी .एन. दिवाकर को वापस कर दिया था। बिल पारित होने से पहले सतकर्ता से 28 लाख की वित्तीय गबन से शासन बच गया। लेकिन प्रकरण में आज पर्यन्त सम्बंधित डीडीओ प्राचार्य डी एन दिवाकर फर्जी बिल प्रस्तुत करने वाले लिपिक के विरुद्ध अपराध दर्ज नहीं करवा सके,जिससे प्रकरण में डीडीओ प्राचार्य की भूमिका भी संदिग्ध है। बहरहाल भले ही शिक्षा विभाग इस मामले में लिपिक का बचाव कर रहा हो लेकिन शासन ने संज्ञान ले लिया है।15 फरवरी को संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी सहित जिला कोषालय अधिकारी प्रकरण की पूरी तकनीकी पहलुओं की जांच करने उप कोषालय कटघोरा जाएंगे। जहां उप कोषालय अधिकारी ,संबंधित प्राचार्य एवं लिपिक से गहन पूछताछ होगी। प्रकरण में विद्यालय के प्राचार्य डी एन दिवाकर से उनका पक्ष लेने कॉल किया गया। कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका।

इन बिंदुओं पर होगी जांच

उप कोषालय में सबसे पहले फर्जी बिल प्रस्तुत होने के पूरे मामले में तकनीकी पहलुओं की जांच होगी। जिसमें फर्जी बिल कब लगा ,कब वापस हुआ। कैसे वापस हुआ। किन किन कर्मचारियों के पेंशन का बिल लगा था। सेवानिवृति के बाद मृत शिक्षकों को कब कब भुगतान हुआ था। भुगतान हुआ था कि नहीं जैसे अनेक तकनीकी पहलुओं की जांच की जाएगी।

15 को करेंगे जांच

फर्जी देयक प्रस्तुत करने का मामला गंभीर है। संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारियों के साथ संयुक्त रूप से प्रकरण की जांच करने 15 फरवरी को उप कोषालय कटघोरा जाएंगे।- जसपाल सिंह ,जिला कोषालय अधिकारी

बिल वापस कर दिया था ,प्राचार्य की जिम्मेदारी

फर्जी देयक पारित होने से पहले ही पकड़ में आ गई थी। बिल वापस कर दिया गया था। प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई करने की जिम्मेदारी संस्था के डीडीओ प्राचार्य की है। वही बेहतर बता सकेंगे।- मनीष देवांगन ,उप कोषालय अधिकारी कटघोरा

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