’11 साल, 7500 लोगों से पूछताछ, फिर भी रहस्य बरकरार’, आखिर कौन है शोभित मोदी का हत्यारा?

इंजीनियरिंग के छात्र को साल 2011 में दिल्ली के वसंत कुंज स्थित उसके घर के पास चाकू मार दिया गया था. मामले की जांच के बाद पुलिस ने साल 2018 में इसे बंद कर दिया, लेकिन परिवारवालों का कहना है कि उनके लिए यह मामला ‘कभी भी बंद नहीं होगा’.

 

नई दिल्ली: 5 मई, 2011 की उमस भरी शाम को 20 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र शोभित मोदी दिल्ली के शानदार डीएलएफ प्रोमेनेड मॉल में सैर के लिए निकले थे. रात करीब 9.10 बजे उसने अपने परिवार को यह बताने के लिए फोन किया था कि वह आधे घंटे में वापस आ जाएगा. पर वह कभी भी घर वापस नहीं लौटा .

इस कॉल के किये जाने के तक़रीबन 40 मिनट बाद, शोभित को दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज स्थित उसके घर के पास एक गार्ड ने देखा, वह दर्द से छटपटा रहा था और चाकू से किए गए चार घावों से काफी सारा खून बह रहा था.

वह खड़े होने और चलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तुरंत ही गिर पड़ा और बेहोश हो गया. शोभित के पिता उसे आनन-फ़ानन में अस्पताल ले गए लेकिन जल्द ही उसने चोटों की वजह से दम तोड़ दिया.

पिछले सात वर्षों से दिल्ली पुलिस, जो इस मामले की तहकीकात कर रही थी, ने 7,500 से अधिक संभावित संदिग्धों, मित्रों, परिवार और सहपाठियों से लेकर स्थानीय अपराधियों तक की जांच की, यहां तक कि उसने अपराधी की गिरफ्तारी के लिए गुप्त सूचना देने वाले को एक लाख रुपये के इनाम की भी घोषणा की. मगर, इस मामले में कभी कोई गिरफ्तारी हुई ही नहीं.

पुलिस ने सभी एंगल्स और उद्देश्यों से इस मामले की जांच की – लूट-पाट से लेकर रोड रेज तक; ड्रग्स के उपयोग से लेकर उसके कॉलेज के किसी शख्स के साथ उसकी व्यक्तिगत दुश्मनी तक और उसे नापसंद करने वाले उसकी प्रेमिका के परिवार की संभावित संलिप्तता भी खंगाली, लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा.

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अंत में, मई 2018 में, पुलिस ने इस मामले में एक ‘अनट्रेस्ड’ की रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया था कि व्यापक जांच के बावजूद, वे न तो अपराधियों की पहचान कर सके, और न ही शोभित की हत्या करनेवाले का मकसद का ही पता लगा सके.

इस हत्या के ग्यारह साल बाद, शोभित का परिवार अभी भी सदमे में है, उसने एक चुप्पी साध ली है कि उसकी हत्या का उनके पास कभी कोई जवाब नहीं होगा.

शोभित के पिता सूरज मोदी ने दिप्रिंट से कहा, ‘जब कोई मुझसे मेरे बेटे के बारे में पूछता है तो मैं सुन्न सा हो जाता हूं. यह लाचारी, हार की भावना जैसा है. इतने साल बीत गए और हमें अब भी यह तक पता नहीं चला कि हमारे बेटे को हमसे कौन छीन ले गया. यह एक अत्यंत ख़राब एहसास है.’

 


क्या हुआ था उस रात को?

शायद इस मामले का सबसे कष्टदायी विवरण यह है कि शोभित मोदी, जो फरीदाबाद की मानव रचना विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष का छात्र और प्रतिष्ठित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) आर.के.पुरम का पूर्व छात्र था, उस समय लगभग अपने घर पहुंच ही चुका था, जब उसके हमलावर ने उसे सोसाइटी के गेट के पास ही चाकू से गोद दिया – एक बार उसकी छाती में, एक बार उसके पेट में, और दो बार उसकी पीठ में.

5 मई, 2011 की रात को जो कुछ भी हुआ, उसे फिर से समझने के लिए, दिल्ली पुलिस ने डीएलएफ प्रोमेनेड मॉल से उसके घर तक जाने वाले मार्ग का खाका तैयार करने में मदद करने के लिए उसके फोन लोकेशन का भी उपयोग किया.

फिर उन्होंने इस रास्ते में चलने वाले 1,000 से अधिक ऑटो चालकों से इस उम्मीद के साथ पूछताछ की कि शायद उनमें से किसी ने इस युवक को छुरा घोंपे जाते हुए या पिटते हुए देखा होगा.

ऐसे कुछ संकेत मिले थे कि इसमें मारपीट शामिल हो सकती थी. छुरे से लगे घावों के अलावा, शोभित के दाहिने हाथ और दोनों घुटनों पर खरोंच के निशान भी थे और उसकी टी-शर्ट फटी हुई थी.

मामले की जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें पूरा यकीन था कि हाथापाई जरूर हुई थी और शोभित को चाकू मारे जाने से पहले उसे पीटा गया था.’

लेकिन न तो ऑटो चालकों ने और न ही उस इलाके में घूमने वाले फेरीवालों, वेंडरों और सुरक्षा गार्डों ने ही कुछ देखा था.

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘वो समय देर रात का नहीं था फिर भी हमें एक भी चश्मदीद गवाह नहीं मिला.’

शोभित के फोन से कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और अन्य डेटा के विश्लेषण से भी कोई उपयोगी सुराग नहीं मिला.

इस अधिकारी ने कहा, ‘एक सीडीआर और डेटा डंप (मोबाइल टावर से जुड़े फोन का पता लगाने के लिए) विश्लेषण किया गया था. डीएलएफ मॉल के 800 से अधिक कर्मचारियों से पूछताछ भी की गई. वह मॉल के अंदर जहां भी गया, मॉल में रहने के दौरान वह जिन-जिन लोगों से मिला, जिनकी उसने कॉल रिसीव की, हर चीज की जांच की गई, लेकिन हमें कुछ नहीं मिला.‘

प्रेम प्रसंग, दुश्मनी, लूट, ड्रग्स – ऐसे सभी एंगल जो नाकामयाब रहे

शोभित अभी जमीन पर गिरा ही था और उसका खून बह ही रहा था कि उसके फोन की घंटी बजी. उसकी मदद करने की कोशिश कर रहे गार्ड ने इस कॉल का जवाब दिया. यह उसी लड़की का था जिसे शोभित उस समय डेट कर रहा था. गार्ड ने उसे शोभित की हालत के बारे में बताया और फिर उसी लड़की ने उसके (शोभित के) परिवार को सूचित किया.

जांच-पड़ताल के दौरान, यह लड़की और उसका परिवार ही इस मामले में प्रमुख संदिग्ध बन गए थे. जांच से जुड़े दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘शोभित के परिवार को उसकी हत्या में इस लड़की के पिता की संलिप्तता का संदेह था. ऐसा इसलिए था क्योंकि दोनों एक रिश्ते में थे और लड़की के पिता को उनकी दोस्ती मंजूर नहीं थी.’

पुलिस के मुताबिक, उसी साल फरवरी में इस लड़की के पिता शोभित के घर गए थे और अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी. शोभित के पिता ने यह भी आरोप लगाया था कि इस लड़की के पिता ने अक्टूबर 2010 में उनके बेटे के साथ बदतमीजी करने के लिए कुछ गुंडों को लगाया था.

दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘लड़की के पिता ने शोभित को अपनी बेटी से दूरी बनाए रखने के लिए कहा था, लेकिन फिर वे दोनों संपर्क में रहे. इस वजह से शोभित के पिता को शक था कि इस हत्या के पीछे उनका हाथ हो सकता है. इस सुराग के बाद, हमने महिला के परिवार के सभी सदस्यों से कई बार पूछताछ की, लेकिन उन्हें आरोपित करने लायक कोई सामग्री नहीं मिली.‘

पुलिस ने जिन अगले एंगल्स का पीछा किया, वे थे लूट या व्यक्तिगत दुश्मनी.

पहले अधिकारी ने कहा, ‘हमने सोचा कि शायद यह लूट का मामला हो सकता है, लेकिन चूंकि शोभित का फोन और उसके द्वारा पहनी गई टिसोट घड़ी उसके पास ही थे, इसलिए यह संभव नहीं लग रहा था.’

फिर भी, दिल्ली पुलिस ने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए इस एंगल की भी तहकीकात की. अधिकारी ने कहा, ‘हमने उन लोगों को पकड़ा जो अतीत में ऐसी लूट में शामिल रहे थे या किसी संगठित गिरोह के सदस्य थे, लेकिन उनसे कोई जानकारी नहीं मिली. हम जिस भी एंगल से मामले की जांच कर रहे थे, वह एक बंद गली पर ही जा रहा था.’

जांच का एक और एंगल था- ड्रग्स. उन्होंने कहा, ‘जांच के दौरान हमें बताया गया कि शोभित [मारिजुआना के साथ] धूम्रपान किया करता था. इसलिए हमने ड्रग्स के स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को इस बात की जांच के लिए घेरा कि क्या वे हत्या के पीछे हो सकते हैं, लेकिन वहां से भी कुछ नहीं मिला. ‘

व्यक्तिगत दुश्मनी उजागर करने की कोशिशों का भी कुछ नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा, ‘हम उसके कॉलेज गए और उसके सहपाठियों, दोस्तों से यह जानने के लिए पूछताछ की कि क्या उसने अतीत में किसी के साथ लड़ाई की थी, या उसका कोई दुश्मन था. लेकिन एक बार फिर से, हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके.’

‘हमारे लिए कभी भी बंद नहीं होगा यह मामला’

शोभित मोदी के परिवार के लिए, उसकी आखिरी याद उसके चार घावों से तेजी के साथ बहता उसका खून है. वे अभी भी उसकी मौत से सदमे में हैं, लेकिन अब उन्होंने इस मामले के बारे में किसी से भी कोई बात करना बंद कर दिया है. उनका गुस्सा कम हो गया है और लड़ने की इच्छा भी खत्म सी हो गई है.

सूरज मोदी कहते हैं, ‘हम वास्तव में कर ही क्या सकते हैं? मैं जो कर सकता था मैंने किया. मैं लड़ा. जांचकर्ताओं को मुझसे जो भी मदद मिल सकती थी, मैंने की. मैंने सीबीआई जांच के लिए अदालत का भी रुख किया, जो मंजूर नहीं हुआ. मुझे आश्चर्य होता है कि मैं और क्या कर सकता था?’

उन्होंने कहा, ‘मेरे सभी प्रयास विफल रहे, पुलिस हत्यारों को ढूंढ नहीं पाई और अब मुझे लगता है कि हमें कभी भी उनका पता नहीं चलेगा.’हम अब इसके बारे में घर पर भी बात नहीं करते हैं.’

सूरज मोदी ने कहा कि उन्हें पुलिस द्वारा इस मामले में एक अनट्रेस्ड रिपोर्ट दाखिल करने के बारे में मीडिया से ही पता चला.

सूरज मोदी कहते हैं, ‘हमें समाचार माध्यमों की खबर के जरिए ही पता चला कि उन्होंने एक क्लोजर [रिपोर्ट] दायर की है. पुलिस ने कहा है कि वे हत्यारों का पता नहीं लगा सके हैं या उनका मकसद भी स्थापित नहीं कर सके हैं. मुझे यह भी नहीं पता था कि कैसे प्रतिक्रिया दूं. उनके लिए शायद यह सिर्फ एक और मामला था, लेकिन हमारे लिए वह हमारा बेटा था. यह मामला उनके लिए बंद हो सकता है लेकिन हमारे लिए यह कभी बंद नहीं होगा.’

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