उर्दू प्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया, कहा- कांग्रेस के लिए अब आगे क्या?

नई दिल्ली: तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) द्वारा आयोजित रैली में एक गैर-कांग्रेसी, गैर-बीजेपी समूह के स्पष्ट रूप से उभरने से उर्दू मीडिया में बहुत उत्साह रहा, लेकिन यह कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान नहीं भटका सका, जो अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर है.

‘भारत जोड़ो यात्रा’ और खम्मम में बीआरएस की रैली- ऐसे कार्यक्रम जिसमें विपक्षी दल के कई नेताओं ने हिस्सा लिया – 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्षी एकता की संभावनाओं और कांग्रेस की भूमिका के बारे में काफी कुछ बयां करता है.

उर्दू प्रेस का ध्यान खींचने वाले अन्य मुद्दों में मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच का विवाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और हैदराबाद के अंतिम निज़ाम का निधन की खबरें शामिल थे.

दिप्रिंट उर्दू प्रेस साप्ताहिक राउंड-अप में बता रहा है कि कौन-कौन सी खबरें सुर्खियों में रहीं.

 


विपक्ष की एकता

रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा अखबार ने 19 जनवरी को मुख्य पेज की अपनी खबर में कहा कि बीआरएस की जनसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा पंजाब और केरल के समकक्ष भगवंत मान और पिनाराई विजयन ने शिरकत की.

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इंकलाब ने उसी दिन केसीआर, केजरीवाल, मान और विजयन की एक तस्वीर के साथ प्रकाशित खबर में बीआरएस की रैली को विपक्ष द्वारा ‘‘शक्ति प्रदर्शन’’ करार दिया. तस्वीर में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी थे.

सियासत ने 20 जनवरी के अपने संपादकीय में इस रैली को विपक्षी एकता के तौर पर पेश किया और कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की जनता की राय गुजरात में अपने चुनावी प्रदर्शन के बाद बदल गई है, जिससे बीजेपी को जबरदस्त फायदा पहुंचा है.

अखबार ने यह भी लिखा कि जहां, कई क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के साथ खड़ी हैं वहीं, कई अन्य इसका विरोध भी कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में, जब तक पार्टियां लचीली नहीं होंगी, विपक्षी एकता संभव नहीं होगी.

बहरहाल, विपक्षी खेमे से सबसे बड़ी खबर कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से आती रही, जो अब अपने अंतिम पड़ाव यानी जम्मू-कश्मीर में प्रवेश कर चुकी है.

इंकलाब ने 17 जनवरी के अपने संपादकीय में लिखा, ‘‘यात्रा के बाद क्या होगा’’. संपादकीय में ये भी कहा गया है कि यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन किसी को भी इसके ऐतिहासिक पहल होने पर कोई संदेह नहीं है.

संपादकीय में, यात्रा के दौरान ‘‘प्रशासनिक कौशल’’ की भी सराहना की गई, जो इसके प्रबंधन में जुटा हुआ था. ये भी कहा गया कि शुरू से ही बदनाम करने की कोशिशों के बावजूद यात्रा ‘‘सफल’’ रही है.

उसी दिन, इंकलाब ने पहले पेज की मुख्य खबर में, ‘‘राहुल गांधी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ समझौता करने के बजाय सिर कलम कराने वाले’’ बयान को छापा था.

20 जनवरी को सियासत के पहले पेज पर लीड खबर में कहा गया है कि यात्रा केंद्र शासित प्रदेश में दाखिल हो गई है. इस खबर को राहुल गांधी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की एक तस्वीर के साथ चलाया गया. इस फोटो में, फारूक अब्दुल्ला के हाथों में एक गदा थी.

राहुल द्वारा अपने चचेरे भाई वरुण के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाने से संबंधित संपादकीय में, इंकलाब ने कहा कि एक विचार यह भी हो सकता है कि वरुण को शामिल करने से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को लाभ मिले, इस तरह के कदम के फायदे से ज्यादा नुकसान थे. इसमें कहा गया है कि वरुण के बारे में लोगों की धारणा को देखते हुए कांग्रेस के लिए उन्हें दूर रखना समझदारी होगी.

 

 


किसानों की आत्महत्या

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या की खबरें भी उर्दू अखबारों के पहले पेज पर छाई रहीं.

16 जनवरी को, सहारा ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से खबर में लिखा कि 2022 में 1,023 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि ये आंकड़ा में 2021 में 887 किसानों की मौत से अधिक था.

उसी दिन सहारा ने अपने संपादकीय में लिखा कि किसान आत्महत्याओं की खबरें आती रहती हैं, लेकिन वे कभी भी गंभीर राजनीतिक बहस का विषय नहीं बनतीं.

संपादकीय में कहा गया है कि किसान आत्महत्याओं के पैटर्न में बदलाव आया है, जुलाई से अक्टूबर के मुकाबले अब दिसंबर से जून के बीच अधिक घटनाएं दर्ज की जा रही हैं.

अखबार ने हालांकि, कहा कि सरकार किसानों के लिए नीतियां बनाती है, लेकिन उनके प्रभाव का सर्वेक्षण करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.

सरकार VS सुप्रीम कोर्ट

न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच जारी खींचतान उर्दू प्रेस के पहले पेज की सुर्खियां बनीं रहीं.

16 जनवरी को, सहारा ने राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के हवाले से कहा कि सरकार न्यायपालिका को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है – जो भारत के लोकतंत्र का अंतिम स्तंभ है.

17 जनवरी को, अखबार ने इस मुद्दे को प्रमुखता से कवरेज दिया. इसके पहले पेज पर एक खबर में कहा गया कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को सलाह देने के लिए गठित पैनल में सरकार के एक प्रतिनिधि की मांग की थी.

अखबार ने एक इनसेट खबर में कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा सरकार पर न्यायपालिका को धमकाने की कोशिश करने का आरोप लगाने की बात कही थी.

इंकलाब ने भी पहले पेज पर कानून मंत्री के सुझाव के साथ-साथ कांग्रेस की प्रतिक्रिया को प्रकाशित किया. इसके अलावा, अखबार ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस तरह के कदम को ‘‘खतरनाक’’ बताया है.

 


BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी

नई दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी पहले पेज की सुर्खियों में रही.

17 जनवरी को, सहारा ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के हवाले से लिखा कि 2023 पार्टी के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष है, इस साल नौ विधानसभा चुनाव ‘‘लड़ने और जीतने’’ हैं.

अगले दिन खबर आई कि नड्डा पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे. खबर में कहा गया है कि बीजेपी ने फैसला किया है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी नड्डा के नेतृत्व में आगे बढ़ेगी.

18 जनवरी को इंकलाब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश को पहले पेज पर जगह दी कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को अल्पसंख्यकों और हाशिए के समुदायों सहित समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना चाहिए. खबर में पीएम के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने अगले साल के संसदीय चुनावों से पहले सेवा की भावना पर जोर दिया और सरकार के ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ कार्यक्रम के कार्यान्वयन के बारे में भी बात की.

आखिरी निज़ाम

हैदराबाद के आठवें और आखिरी निज़ाम मीर बरकत अली खान सिद्दीकी मुकर्रम जाह की मौत को सियासत के पहले पेज पर हफ्ते भर प्रकाशित किया गया. दरअसल, यह अखबार हैदराबाद से संचालित होता है.

जाह (89) का 12 जनवरी को इस्तांबुल में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार हैदराबाद में किया गया.

सहारा ने 16 जनवरी को उनके निधन की खबर चलाई थी. खबर के अलावा, अखबार ने यह भी बताया कि केसीआर के तहत तेलंगाना सरकार ने पूर्व निज़ाम को राजकीय सम्मान देने का फैसला किया था.

अगले दिन सहारा के पहले पेज पर, एक अन्य खबर में कहा गया कि निज़ाम के मृत शरीर को जनता के अंतिम दर्शन के लिए चौमहल्ला पैलेस में रखा गया था. चौमहल्ला पैलेस हैदराबाद के निज़ामों की सत्ता की सीट थी.

18 जनवरी को, सियासत ने बताया कि केसीआर ने पूर्व निज़ाम के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया.

उसी दिन, सहारा ने खबर दी कि जाह के शव को हैदराबाद लाया गया है और उसे उसी दिन ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में दफनाया जाएगा.

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