ब्लैक बोर्ड इलाज के नाम पर लात-घूंसों से पिटाई : महिलाओं को बांधकर 200 सीढ़ियों पर घसीटते हैं, घंटों ठंडे पानी से नहलाते हैं

 

भीलवाड़ा, / राजस्थान

मंदिर में माता रानी के जयकारे के बीच महिलाओं की चीखें। कहीं महिला को उल्टा लिटाकर सीढ़ियों पर घसीट जा रहा। कहीं कड़ाके की सर्दी में महिलाओं को ठंडे पानी से नहलाया जा रहा। उनके बाल खींचे जा रहे। लात-घूसों से पिटाई की जा रही है।

ये नजारा है राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बंक्यारानी माता मंदिर का। यहां भूत उतारने और इलाज के नाम पर महिलाओं के साथ बेहिसाब जुल्म हो रहा है। यहां तक कि चोरी-छिपे उन्हें चमड़े के जूते से पानी भी पिलाया जाता है।

ब्लैकबोर्ड सीरीज में इन्हीं महिलाओं का हाल जानने मैं जयपुर से 279 किलोमीटर दूर आसींद के बंक्यारानी मंदिर पहुंची। वहां पूरे दिन और पूरी रात यानी करीब 24 घंटे रही। उस दौरान मैंने जो कुछ देखा उसकी आंखों-देखी पढ़िए …

महिला को बांधकर फर्श पर घसीट रहे हैं। खास बात है कि महिलाओं के घरवाले ही उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर रहे हैं।
महिला को बांधकर फर्श पर घसीट रहे हैं। खास बात है कि महिलाओं के घरवाले ही उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर रहे हैं।

शनिवार का दिन। कड़ाके की सर्दी के बीच सुबह 4 बजे मैं मंदिर पहुंची। दुकानें सज गई थीं। भक्तों की भीड़ बढ़ रही थी। लोग जयकारे लगा रहे थे। बीच-बीच में महिलाओं की चीखें गूंज रही थीं। मंदिर में मार-पीट और महिलाओं की चीखें…? मुझे थोड़ा अजीब लगा।

करीब 200 सीढ़ियां चढ़कर मैं मंदिर के अंदर घुसी तो देखा छोटा सा गर्भगृह है, जिसमें एक देवी की प्रतिमा है। कुछ लोग उनकी पूजा कर रहे हैं।

दूसरी तरफ महिलाओं को सीढ़ियों पर उल्टा लिटाकर घसीटा जा रहा है। उन्हें लात-घूसों से पिटा जा रहा है। जबरन मंदिर की परिक्रमा कराई जा रही है। महिला चलते हुए जरा भी रुकती है तो उसकी पिटाई होने लगती है।

2016 में दैनिक भास्कर में यह खबर छपी थी। आज भी चोरी-छुपे महिलाओं को जूते में पानी पिलाया जाता है।
2016 में दैनिक भास्कर में यह खबर छपी थी। आज भी चोरी-छुपे महिलाओं को जूते में पानी पिलाया जाता है।

गर्भगृह के पास करीब दो घंटे रुकती हूं। उस दौरान चार-पांच महिलाओं के साथ ओझा ऐसा ही करते हैं।

मैं मंदिर से बाहर निकलती हूं। यहां सीढ़ियों पर एक महिला उल्टा लेटी है और पीठ के बल रेंगते हुए नीचे उतर रही है। साथ में उसके घर की महिलाएं भी हैं। वे उसे ऐसा करने के लिए फोर्स कर रही हैं। बीच-बीच में महिला थककर रुक जाती है, तो ओझा उसका पैर पकड़कर नीचे खींचने लगते हैं।

उसके हाथ, पैर और पीठ छिल जाती है। वह रहम की भीख मांगती है, लेकिन भोपा पर कोई फर्क नहीं पड़ता। करीब 15-20 मिनट लगते हैं ऊपर से नीचे उतरने में।

मेरे पास ही एक महिला खड़ी है। वह इस महिला की सास है। मैं पूछती हूं- बहू के साथ ऐसा क्यों करवा रही हैं आप?

इस तस्वीर को देखिए कैसे महिला को उल्टा लिटाकर सीढ़ियों पर घसीटा जा रहा है।
इस तस्वीर को देखिए कैसे महिला को उल्टा लिटाकर सीढ़ियों पर घसीटा जा रहा है।

वे बताती हैं, ‘इसके ऊपर कोई साया है। सूखी सब्जी बनाने को कहती हूं तो पानी डाल देती है। पानी वाली सब्जी बनाने को कहती हूं तो सूखा बना देती है। हर काम उल्टा करती है। इसके शरीर में कोई घुसा है, वही इससे ये सब करवा रहा है।’

मैंने पूछा किसी डॉक्टर से नहीं दिखाया?

वे बिना जवाब दिए आगे बढ़ जाती हैं। मैं दोबारा बात करने की कोशिश करती हूं, लेकिन वे मुझे अनसुना कर देती हैं।

मैं आगे बढ़ती हूं। सीढ़ियों के नीचे एक महिला बैठी है। चुनरी से उसका सिर ढंका है। भोपी उसका बाल पकड़कर खींच रही है। उससे जबरन कुछ बुलवाने की कोशिश कर रही है। वह नहीं बोलती है तो उसे मुक्के से मारती है। इसी बीच महिला एक कुत्ते की तरफ इशारा करती है। तभी भोपी तपाक से बोल पड़ती हैं- अच्छा, अच्छा ये कुत्ते की बलि देने के लिए बोल रही है।

भोपी उस महिला को ज्वाला मंदिर ले जाती है। ज्वाला मंदिर, बंक्यारानी मंदिर के ठीक नीचे है। यहां 5-6 घंटे महिला को भोपी इधर से उधर घुमाती है। उसके बाद महिला अपने घर वालों के साथ बाहर निकल जाती है। मैं महिला के घर वालों से बात करने की कोशिश करती हूं, लेकिन वे मना कर देते हैं।

ज्वाला मंदिर में एक महिला को बांधकर फर्श पर घसीटा जा रहा है। तीन महिलाएं उसे खींच रही हैं। पूछने पर उन्हीं में से एक महिला बताती हैं, ‘इस महिला के अंदर बुरी आत्मा है। पूरा चक्कर काट लेगी तभी वो आत्मा इसके शरीर से जाएगी।’

महिलाओं को सीढ़ी से उतारने के बाद भोपी उनके बाल पकड़कर अपने मन की बात बुलवाने की कोशिश करती हैं।
महिलाओं को सीढ़ी से उतारने के बाद भोपी उनके बाल पकड़कर अपने मन की बात बुलवाने की कोशिश करती हैं।

थोड़ी दूर पर एक महिला चूल्हे पर खाना पका रही है। उसके बगल में 20-22 साल की एक महिला बैठी है। बाल बिखरे हैं। कपड़े और स्वेटर काफी मैले हैं। पूछने पर पता चला कि देविका (बदला हुआ नाम) नाम की यह महिला चितौड़ से आई है। उसकी सास इलाज के लिए मंदिर लाई थी फिर यहीं छोड़कर चली गई। अब बहन देखभाल कर रही है।

मैं पूछती हूं क्या दिक्कत है आपको?

देविका बताती हैं, ‘तबीयत खराब चल रही थी। ठीक से घर के काम नहीं कर पाती थी। एक दिन पड़ोसी ने सास से कहा कि तुम्हारी बहू पर बुरी आत्मा का साया है। उसे बंक्यारानी माता मंदिर ले जाओ। मैंने सास को समझाया कि डॉक्टर के पास चलिए, इलाज कराइए, लेकिन वह नहीं मानीं।

मुझे दो जोड़ी कपड़ के साथ यहां छोड़ गई। पांच शनिवार हो गए इलाज कराते हुए, कोई फायदा नहीं हुआ। भोपा-भोपी जबरदस्ती करते हैं। चोटी खींचते हैं, मारते हैं। मैं उनके सामने लाचार हो जाती हूं, कुछ नहीं कर पाती।

पति खेती-किसानी करते थे। अभी कमाने के लिए गुजरात गए हैं। यहां अपनी देखभाल के लिए बहन को बुलाई हूं। दो छोटे बच्चे हैं, उनके लिए जीना चाहती हूं। जल्द घर लौटना चाहती हूं। क्या बताऊं मैडम घरवाले भी तो मेरी नहीं सुनते।’

देविका कहती हैं कि मुझे इलाज की जरूरत है, लेकिन मेरी कोई सुनता ही नहीं है।
देविका कहती हैं कि मुझे इलाज की जरूरत है, लेकिन मेरी कोई सुनता ही नहीं है।

इसके बाद मेरी मुलाकात मध्य प्रदेश के नीमच से आई सोनाली (बदला हुआ नाम) से होती है। वे अपनी ननद गीता का इलाज कराने के लिए मंदिर आई हैं।

सोनाली बताती हैं, ‘ननद के पेट में दर्द हुआ। दवाई खिलाई, लेकिन आराम नहीं मिला। मैं किसी और डॉक्टर के पास जाना चाहती थी। इनकी जांच कराना चाहती थी, लेकिन ससुर ने कहा कि गीता को दवा की जरूरत नहीं है। इसे लेकर मंदिर चले जाओ। पांच हफ्ते से यहां गीता का इलाज चल रहा है। अभी कोई फायदा नहीं है।’

कहां हैं आपकी ननद?

जवाब में सोनाली एक दुबली-पतली लड़की की ओर इशारा करती हैं। मैं उससे बात करना चाहती हूं, लेकिन वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। भोपा की मार और इलाज की प्रक्रिया ने उसे सदमे में पहुंचा दिया है।

यहां लगभग हर महिला ने कुंड में स्नान कराने की बात कही। मैंने एक महिला से कुंड के बारे में पूछा तो बताया कि कुंड यहां से दो किलोमीटर दूर है। इसके बाद मैं उस कुंड को देखने के लिए निकल जाती हूं।

पानी वाले कुंड के पास जाने से पहले महिलाएं इसी तरह दोनों हाथ ऊपर उठाकर करीब 2 किलोमीटर तक जाती है।
पानी वाले कुंड के पास जाने से पहले महिलाएं इसी तरह दोनों हाथ ऊपर उठाकर करीब 2 किलोमीटर तक जाती है।

दोपहर का वक्त। एक बड़े से कुंड में पानी भरा हुआ था। उसकी दीवारों पर लिखा था कष्ट निवारण कुंड। इसी कुंड के जल से महिलाओं को नहलाया जाता है। मैंने कुंड के अंदर हाथ डालकर देखा तो ऐसा लगा जैसे उसमें बर्फ जमा हो।

मैंने एक शख्स से पूछा आज कोई भोपा यहां नहीं आया क्या?

जवाब मिला- अभी दोपहर में कहां कोई दिखेगा। शाम ढलने दीजिए। पूरी रात यहां खेल होता है।

दो घंटे बाद तीन-चार महिलाएं एक महिला को पकड़कर कुंड के पास लाती हैं। उसे ठंडे पानी से नहलाती हैं। उससे कुछ कहलवाने की कोशिश करती हैं। महिला कुछ बोल नहीं पाती। भोपा-भोपी उसे पीटने लगते हैं। कभी मुक्के से मारते हैं तो कभी बाल खींचते हैं।

इसके बाद वहां चार-पांच और महिलाएं आती हैं। उनके साथ भी भोपा-भोपी वैसा ही करते हैं।

कड़ाके की सर्दी में रात से लेकर सुबह तक महिलाओं को ठंडे पानी से नहलाया जाता है।
कड़ाके की सर्दी में रात से लेकर सुबह तक महिलाओं को ठंडे पानी से नहलाया जाता है।

एक भोपा से पूछती हूं ऐसा क्यों करते हैं आप? पहले तो वे सवाल टाल देते हैं, फिर कहते हैं- ‘हम कहां कुछ करते हैं। सब माता रानी कराती हैं।’

जैसे-जैसे रात ढलती है, मंदिर में भीड़ बढ़ती जाती है। इलाज के नाम पर महिलाओं के साथ ज्यादती का खेल पूरी रात चलता है। सुबह होते ही भोपा-भोपी निकल लेते हैं।

मंदिर के आसपास के लोगों से पूछने पर पता चलता है कि हर शनिवार भोपा-भोपी यहां आते हैं। एक दिन के इलाज का वे कम से कम 500 रुपए लेते हैं। जो लोग दूर से आते हैं, उनके ठहरने की व्यवस्था भी भोपा-भोपी करते हैं। इसके लिए वे दो से तीन हजार रुपए एक दिन का लेते हैं।

मंदिर के मुख्य पुजारी पहले इनकार करते हैं, वीडियो दिखाने पर मजबूरी बताने लगते हैं

इसके बाद मैं बंक्याराणी ट्रस्ट के अध्यक्ष और मुख्य पुजारी देवीलाल गुर्जर से मिली। देवीलाल बताते हैं कि पहले मंदिर में इस तरह की परंपरा थी, लेकिन अब नहीं है।

मैं उन्हें वीडियो दिखाती हूं तो वे कहते हैं, ‘पहले जो लोग इस तरह के काम के लिए आते थे, हम उन्हें यहां से भगा देते थे। इसके बाद लोग बाहर जाकर कहने लगे कि हमें मंदिर में घुसने नहीं दिया जा रहा। तब हमें मंदिर में आने की इजाजत देनी पड़ी। भोपा-भोपी बाहर से आते हैं। ऐसे में उनका रिकार्ड रखना मुश्किल है।’

बता दें कि सात साल पहले इसी मंदिर में जूते में पानी पिलाने के फोटो-वीडियो वायरल हुए थे। इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई की और जूते से पानी पिलाने पर रोक लगा दी। हालांकि, स्थानीय लोग दबी जुबान से कहते हैं कि आज भी चोरी-छिपे जूतों में पानी पिलाया जाता है।

पुलिस बोली- कोई शिकायत दर्ज करवाए तब तो कार्रवाई करेंगे

बंक्यारानी में होने वाली यातानाओं के बारे में पूछने पर असींद के शंभूगढ़ थाना के SHO हनुमान राम कहते हैं, ‘जूतों में पानी पिलाने के बारे में मैंने बहुत पहले सुना था। मुझे यहां तैनात हुए 5 महीने हो गए हैं। अब तक मुझे कोई शिकायत नहीं मिली है। शनिवार को मंदिर में 500 से 1000 लोग आते हैं। पुलिस वहां गश्त भी करती है। अभी तक किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है। कोई शिकायत करेगा तभी तो हम एक्शन लेंगे।’

2016 में दैनिक भास्कर ने यह खबर प्रकाशित की थी।
2016 में दैनिक भास्कर ने यह खबर प्रकाशित की थी।

अंध विश्वास के खिलाफ मुहिम चलाने वाली सोशल वर्कर तारा अहलूवालिया बताती हैं, ‘कोई महिला बीमार होती है या दिमागी रूप से उसे कोई दिक्कत होती है, तो परिवार वाले उसे भोपा के पास ले जाते हैं।

भोपा बिना देर किए घोषित कर देता है कि महिला के शरीर में डाकन, भूत है। फिर चमड़े के जूते में पानी पिलाना, पीटना और उसका शोषण शुरू हो जाता है। हमने स्टिंग करके कई लोगों को जेल भी भेजवाया है।

मैं 37 साल से लोगों को जागरूक कर रही हूं। आज तक एक बात समझ नहीं आई कि बुरा साया सिर्फ महिलाओं पर क्यों आता है, पुरुषों पर क्यों नहीं? इलाज के नाम पर प्र​ताड़ित महिलाएं ही क्यों होती हैं, पुरुष क्यों नहीं?’

ज्यादातर महिलाएं गरीब और अनपढ़, उन्हें लगता ही नहीं है कि उनका शोषण हो रहा है

भीलवाड़ा कोर्ट में एडवोकेट राजू डिडवानिया बताते हैं कि इन महिलाओं के साथ जो जुल्म हो रहा है, उसकी सबसे बड़ी वजह जागरूकता की कमी और गरीबी है। उनके परिजन आसानी से भोपा-भोपी के झांसे में आ जाते हैं। उनका ऐसा ब्रेन वॉश कर दिया जाता है कि उन्हें लगता ही नहीं है कि उनका शोषण हो रहा है। उनके घर की महिलाओं के साथ ज्यादती हो रही है।

कुछ महिलाएं डॉक्टर के पास जाती भी हैं, तो गरीबी की वजह से झोला छाप डॉक्टरों से इलाज कराती हैं। उससे बीमारी ठीक नहीं होती। फिर लौटकर उन्हें भोपा-भोपी के पास ही आना पड़ता है। इसी वजह से दिन-पर-दिन इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं।

अब ब्लैकबोर्ड सीरीज की ये दो स्टोरीज भी पढ़िए

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